नई दिल्ली. इलाहाबाद (प्रयागराज) उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या में विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख रु. का जुर्माना भी लगाया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका ‘पब्लिसिटी’ हासिल करने के लिए दायर की गई थी. अल रहमान ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका के कारण अदालत का समय नष्ट हुआ है. न्यायालय ने अयोध्या जिले के डीएम को सख्ती के साथ राशि वसूलने का निर्देश दिया है.
अल रहमान ट्रस्ट रायबरेली की पंजीकृत संस्था है. यह मुसलमानों की शिक्षा और इस्लाम के प्रसार के लिए काम करती है. उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में दायर याचिका में मांग की गई थी कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए. याचिका में केंद्र व राज्य सरकार सहित अयोध्या (फैजाबाद) के मंडलायुक्त (रिसीवर) और जिलाधिकारी को भी पक्षकार बनाया गया था.
ट्रस्ट का कहना था कि अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान रामलला की मूर्ति रखी है. वहां पर हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति है तो मुसलमानों को भी वहां नमाज पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. याचिका में उच्च न्यायालय के 2010 के उस आदेश का हवाला भी दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि विवादित भूमि पर मुसलमानों का भी एक तिहाई हिस्सा है.
प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता श्रीप्रकाश सिंह ने याचिका का विरोध किया. उनका तर्क था कि इस विवादित स्थल का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इस प्रकार की याचिका दायर नहीं की जा सकती. विवादित स्थल पर यथा स्थिति कायम रखने का आदेश पहले से चला आ रहा है. याची ट्रस्ट 2017 में पंजीकृत हुआ है.