पू. सरसंघचालक जी, आदरणीय अखिल भारतीय पदाधिकारी गण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य, निमंत्रित एवं विशेष निमंत्रित बंधु, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समस्त प्रतिनिधि बंधु तथा सामाजिक जीवन में विभिन्न संगठनों के माध्यम से कार्यरत ऐसे निमंत्रित सन्माननीय बहनों तथा भाईयों आप सबका इस अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में स्वागत है.
पूज्य माता अमृतानंदमयी के पावन सान्निध्य से आनंदप्रदायी परिसर में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रारंभ हो रही है. हम सबके सौभाग्य से पूज्य माताजी का आशिर्वाद भी हमें प्राप्त होने वाला है. ऐसे अत्यंत पवित्र वातावरण में निश्चित ही हम सभी आनंद की अनुभूति करने वाले हैं.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सुचारु रुप से संपन्न हो, इस दृष्टि से सभी पूज्य स्वामी जी, व्यवस्था में सहयोग कर रहे सभी बंधुओं के प्रति हम कृतज्ञता व्यक्त करते है.
कार्यस्थिति –
2016-17 में संपन्न संघ शिक्षा वर्ग तथा प्राथमिक शिक्षा वर्ग
कुल संघ शिक्षा वर्ग – 93
वर्ष स्थान संख्या
प्रथम 10204 17500
द्वितीय 3050 4130
तृतीय 867 973
वर्ष स्थान संख्या
प्रथम (विशेष) 1309 1891
द्वितीय (विशेष) 1127 1527
प्राथमिक शिक्षा वर्ग – 2015-16 2016-17
कुल वर्ग 961 1059
शाखा प्रतिनिधित्व 32233 29127
संख्या 112520 104256
शाखावृत्त – अभी तक प्राप्त वृत्त के अनुसार वर्तमान में देशभर में 36729 स्थानों पर 57185 शाखायें चल रही है. स्थान, साप्ताहिक मिलन तथा संघ मंडली मिलाकर कुल 59216 स्थानों पर कार्य चल रहा है.
वर्ष स्थान शाखा मिलन मंडली
2017 36729 57185 14896 7594
2016 36867 56859 13784 8226
हिन्दू जागरण के विशेष कार्यक्रम –
गुजरात, मालवा, मध्यभारत इन प्रांतों में अत्यंत प्रभावी सम्मेलनों का आयोजन हुआ. जिसमें पू. सरसंघचालक जी, देवगिरी प्रांत में संपन्न महिला ग्राम विकास संगम में ग्राम विकास के अखिल भारतीय प्रमुख डॉ. दिनेश जी उपस्थित रहे.
(1). महिला ग्राम विकास संगम, देवगिरी – ग्राम विकास कार्य में महिलाओं की सहभागिता बढ़े इस दृष्टि से ‘‘महिला ग्राम विकास संगम’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में 95 ग्रामों से 641 महिलायें और 170 पुरुष उपस्थित रहे. कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम की ठमाताई पवार, नागपुर से ‘निरामय’ संस्था की डॉ. उर्मिलाताई क्षीरसागर, प्राकृतिक कृषि तज्ञ शुभदाताई चांदगुडे, पर्यावरण विशेषज्ञ पेठे आदि बहनों का समयोचित मार्गदर्शन मिला. व्यसनमुक्ति, स्वयं सहायता समूह आदि विषयों पर भी चर्चा सत्र हुए. अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख डॉ. दिनेश जी का भी मार्गदर्शन सभी को प्राप्त हुआ.
(2). विराट हिन्दू सम्मेलन, वासदा, गुजरात – प्रांत में जनजाति क्षेत्र में कार्य को गति देने की दृष्टि से 4 स्थानों पर सम्मेलनों का आयोजन किया गया. नवसारी विभाग में ‘‘भारत सेवाश्रम संघ’’ की शतवार्षिकी समापन के निमित्त वलसाड जिले के वासदा गाँव में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया.
विभाग के सभी तहसीलों के कुल 1145 ग्रामों से 70946 महिला-पुरुष इस सम्मेलन में उपस्थित रहे. पूर्व तैयारी के नाते 23 स्थानों पर अभ्यास वर्ग, 4 स्थानों पर सामाजिक सद्भाव बैठकें और प्रांत के अन्य स्थानों से 432 बहनों द्वारा 237 ग्रामों के 23835 परिवारों से संपर्क किया गया. परिणामतः सम्मेलन सफल रहा.
(3). ग्राम संगम – पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में मालवा प्रांत के उज्जैन शहर में ‘‘ग्राम संगम’’ कार्यक्रम का आयोजन किया था. कार्यक्रम की पूर्व तैयारी हेतु जिन ग्रामों में जैविक कृषि, गौपालन, समरसता, स्वच्छता एवम् व्यसनमुक्ति इन पाँच विषयों में कार्य प्रारंभ हुआ है, ऐसे ग्रामों का चयन करना निश्चित किया. प्रांत में 609 ग्रामों का चयन किया. इन ग्रामों में कार्यशालायें एवम् जनजागरण के कार्यक्रम भी किये गये. प्रत्येक ग्राम से 3 कार्यकर्ता अपेक्षित थे. कार्यक्रम में 427 ग्रामों से 1413 कार्यकर्ता उपस्थित रहे. चयनित सभी पाँच बिन्दुओं पर चर्चा एवम् अनुभव कथन के कार्यक्रम प्रभावी रहे. शिविर के पश्चात् ग्राम विकास के कार्य में अच्छी गति आयी है.
(4). हिन्दू सम्मेलन, बैतूल, मध्यभारत – मध्यभारत का बैतूल जिला जनजाति बहुल है. वहाँ कई प्रकार की चुनौतियाँ हैं. समाज में आत्मविश्वास का वातावरण बने तथा सज्जनशक्ति का दर्शन हो इस दृष्टि से चरणबद्ध योजना बनाकर हिन्दू सम्मेलन का आयोजन बैतूल शहर में किया गया. सम्मेलन के पूर्व जलसंधारण, ग्राम स्वच्छता, समरसता बैठकें, स्वास्थ्य शिविर, गौ पूजन, युवा सम्मेलन इत्यादि कार्यक्रम संपन्न हुए. संपर्क हेतु 70 कार्यकर्ता ग्राम-ग्राम में गये. 1468 ग्रामों तक पहुँचकर 4 लाख बंधुओं से संपर्क किया गया और ग्राम स्तर पर समितियों का गठन किया गया. दिनांक 08 फरवरी को संपन्न यह विराट हिन्दू सम्मेलन में लगभग एक लाख लोग सहभागी हुए. आयोजन अत्यंत प्रभावी रहा. व्यवस्था में नगर की विविध 31 जाति, संस्थाओं का सहयोग उल्लेखनीय है.
राष्ट्रीय परिदृश्य –
राष्ट्रीय तथा सामाजिक जीवन में तात्कालिक एवम् दूरगामी परिणाम करने वाली घटनायें घटती रहती है. ऐसी घटनायें कभी मनोबल बढ़ाने वाली तो कभी राष्ट्रजीवन का सामर्थ्य प्रकट करने वाली होती हैं. लेकिन कुछ घटनायें ऐसी भी होती हैं, जिसका चिंतन व समीक्षा समय पर करने की आवश्यकता रहती है. हिंसा का मार्ग अपनाते हुए हिन्दू समाज को भयग्रस्त करने का प्रयास होता है. राजनीतिक असहिष्णुता व बलप्रयोग करते हुए अन्य विचारधारा के समर्थकों के सम्मुख चुनौती खड़ी की जाति है. कुछ घटनायें निश्चित ही चिंता का कारण बनती हैं.
दशकों से वामपंथी हिंसा का शिकार बना पश्चिम बंगाल सत्ता परिवर्तन के पश्चात् शांति और सुव्यवस्था की अपेक्षा कर रहा था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के पश्चात् तो हिन्दू समाज पर होने वाले अत्याचारों की घटनायें बढ़ी हैं जो चिंताजनक है. मालदा की घटना हो या अभी-अभी घटित धूलागढ़ की, ये सारी घटनायें हिन्दू समाज के लिये बहुत ही चिंता का विषय बना है. सत्ताधिशों द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, प्रशासन का मूक साक्षी बनना पुरानी घटनाओं का स्मरण कराता है. सत्तादल के जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी चिन्हांकित है. इन घटनाओं को सभी स्तरों पर गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. केरल की परिस्थिति भी विचारणीय है. विधानसभा में साम्यवादी दल को प्राप्त विजय के पश्चात् संघ प्रेरित कार्यों के कार्यकर्ताओं पर हमलों की संख्या बढ़ी है. अमानवीय चेहरा खुलकर प्रकट हुआ है. बालक, महिला, वयोवृद्ध, युवक इनके आक्रमणों के शिकार बने हैं. प्राणहानी के साथ खेती, उद्योग, घरों को नष्ट करने की घटनायें यह एक द्वेषमूलक, असहिष्णु मानस को दर्शाता है. लोकतंत्रात्मक मार्ग से सत्ता तक पहुँचने वालों का यह दायित्व बनता है कि जनसामान्यों को सुरक्षा एवं प्रशासन के प्रति विश्वास के लिये आश्वस्त करें.
दोनों राज्यों की सरकारें न्यायपूर्ण व्यवहार तथा शांति और सौहार्द का वातावरण निर्माण करने में पहल करें, यही अपेक्षा है.
सर्जिकल स्ट्राइक –
पाकिस्तान द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने के स्थान पर उन्हें बल प्रदान करना, भारत की सीमा के निकट उनके शिविरों को प्रश्रय देना और सेना द्वारा बार-बार गोलाबारी की घटनायें यह एक छद्म आक्रमण ही है. सितंबर मास में पाकिस्तान के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करना पड़ा. भारत की सरकार ने अपनी सामरिक कुशलता का परिचय दिया है. भारत की सेना के जवान साहस और कुशलता के साथ हमला करके आतंकी शिविरों को नष्ट कर सकुशल अपनी सीमा में लौट आये. सेना के इस साहसिक कार्य के लिये हम सभी संबंधित सैनिक तथा अधिकारियों का अभिनंदन करते हैं.
केन्द्र सरकार ने दृढ़ इच्छाषक्ति का परिचय दिया है. साथ ही पाकिस्तान के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय जनमत बनाने में सफल भूमिका निभाई है. परिणामतः इस्लामाबाद में होने वाला सार्क सम्मेलन हो नहीं सका.
विमुद्रीकरण –
आर्थिक क्षेत्र में विमुद्रीकरण का निर्णय भी केन्द्र सरकार का साहसिक निर्णय है. पश्चात् एक भिन्न भारत का दर्शन हम सबने किया है. जनसामान्यों को अवश्य ही कुछ कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी जो स्वाभाविक ही थी. जनता ने अभूतपूर्व संयम एवम् देशभक्ति का परिचय दिया है. कालाधन, जाली नोट, आतंकवादियों द्वारा धनशक्ति के बल पर निर्माण की जाने वाली समस्याओं के निदान की दिशा में उठाया गया कदम अभिनंदनीय है. केन्द्र सरकार का यह निर्णय कितना समयोचित और परिणामकारक रहा, यह तो भविष्य में सिद्ध होगा.
इस्रो के वैज्ञानिकों का अभिनंदन –
15 फरवरी 2017, यह दिन हम सब भारतवासियों के लिये स्वाभिमान का रहा. इस्रो में कार्यरत महिला एवं पुरुष वैज्ञानिकों ने सामूहिकता से अंतरिक्ष विज्ञान के जगत में एक अभूतपूर्व कार्य संपादन किया है.
विश्व में रशिया के वैज्ञानिकों ने 2014 में एक साथ 37 उपग्रह छोड़कर अपना स्थान बनाया था. अपने वैज्ञानिकों की विशेषता रही कि मात्र 30 मिनट में 104 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. यह अभियान सफल होते ही इस्रो के वैज्ञानिकों का विश्वभर से अभिनंदन हुआ है.
डॉ. होमी भाभा, श्री विक्रम साराभाई, श्री सतीश धवन ऐसे महानुभावों ने जो सपना देखा था, उसे साकार होते हुए हम देख रहे हैं. निश्चित ही सुरक्षा, अंतरिक्ष विज्ञान, ऊर्जा इत्यादि विविध प्रकार के शोध क्षेत्र में अपने वैज्ञानिक भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में सफल होंगे.
इस आयोजन में जिन वैज्ञानिकों की भूमिका रही हम उनका अभिनंदन करते हैं.
समापन
सामाजिक जीवन में नित्य ही सकारात्मक एवम् नकारात्मक घटनाओं का क्रम चलता रहता है. अपने कार्य के द्वारा हम समाज में जागरण एवम् चेतना शक्ति को जागृत करते हुए संगठित होकर परिवर्तन की दिशा में बढ़ रहे हैं. सर्वत्र अत्यंत अनुकूलता का वातावरण और अपने कार्य की स्वीकार्यता बढ़ी है.
राजनीतिक क्षेत्र में दिखाई देने वाली द्वेष भावना राज्यों राज्यों में क्षेत्रभाव का पोषण करने वाली शक्तियाँ भी विद्यमान है. विश्व के अन्यान्य देश भी सामर्थ्य संपन्न भारत के निर्माण में बाधायें खड़ी करने का प्रयास कर रहे है.
इन सारी परिस्थितियों में दृढ़ता के साथ संकल्पबद्ध होकर, हमारी अंतर्गत सामाजिक समस्याओं का निराकरण करते हुए हम सबके समन्वित प्रयास से ही अपना मार्ग प्रशस्त होगा यह विश्वास है.
प.पू. श्री गुरुजी ने जो विश्वास व्यक्त किया है, उसका स्मरण रखें,
‘‘विजय ही विजय है’’