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सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण एवं नागरिक कर्तव्य पर जागरुकता से लाएंगे समाज में परिवर्तन

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  • सेवा कार्य तथा कुटुम्ब प्रबोधन का कार्य महिलाओं के बिना संभव नहीं
  • राष्ट्र के ‘स्व’ आधारित पुनरोत्थान के संकल्प के साथ सम्पन्न हुई

प्रतिनिधि सभापानीपत, 14 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिन चली बैठक का मंगलवार को समापन हो गया। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत करते हुए सर्वप्रथम देश के प्रख्यात पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के निधन पर शोक जताया और श्रद्धांजलि दी। श्री दत्तात्रेय होसबाले ने बताया कि प्रतिनिधि सभा की बैठक में वार्षिक प्रतिवेदन सहित आगामी कार्य दृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव भारत के अमृतकाल और संघ के सौवें वर्ष की ओर बढ़ती यात्रा के समय में समाज को दिशा देने का कार्य करेगा। ऐसे समय में जब भारत वैश्विक नेतृत्व के पथ पर निरंतर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है, तब नागरिकों को यह समझने की आवश्यकता है कि इस पथ पर कांटे कौन बिछाना चाहता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और समस्त समाज राष्ट्र के नवोत्थान की राह में आने वाले सभी कंटकों को दूर करने के लिए कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश के अमृतकाल में नैरेटिव बदलने चाहिए, भारत के प्रश्नों पर भारत के ही उत्तर होने चाहिए। विकृत इतिहास के स्थान पर सही इतिहास बताना चाहिए और युगानुकूल रचनाएं होनी चाहिए।

बैठक में प्रस्ताव के अतिरिक्त महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350वें वर्ष और महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550वें वर्ष पूर्ण होने पर तीन वक्तव्य भी जारी किये गए।

सरकार्यवाह ने बताया कि विजयादशमी 2025 से संघ का शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है, किंतु इस प्रतिनिधि सभा में इसके लिए कोई कार्य योजना नहीं बनी है हालांकि कार्य विस्तार तथा कार्य की गुणात्मकता बढ़ाने की योजना अवश्य बनी है। स्थान-स्थान पर ग्राम-बस्तियों की परिस्थिति का अध्ययन कर वहां की समस्याओं के समाधान की दिशा में शाखा के स्वयंसेवक समाज को जोड़कर प्रयास करेंगे। ऐसे प्रयोग अब भी किए जा रहे हैं, जिनकी चर्चा भी प्रतिनिधि सभा में हुई। दत्तात्रेय होसबाले ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि संघ आगामी समय में सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को अधिक केन्द्रित करेगा। इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, नागरिक कर्तव्य सम्मिलित हैं। इस विषय में स्पष्ट किया कि समाज में विभेद के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना तथा समरसता के लिए निरंतर प्रयास करना इस कार्ययोजना का लक्ष्य है। एक प्रश्न के उत्तर में होसबाले ने कहा कि अस्पृश्यता समाज के लिए पाप और कलंक है तथा संघ इसे मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए होसबाले ने कहा कि संघ जनसंख्या असंतुलन के प्रति चिंतित है, जिसका जिक्र समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और महात्मा गांधी भी कर चुके हैं। राहुल गांधी द्वारा संघ की आलोचना तथा भारत में लोकतंत्र समाप्त होने संबंधी बयान के सवाल पर होसबाले ने कहा कि एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ सांसद को अधिक जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए और देश में इमरजेंसी के लिए माफी तक ना मांगने वाले लोगों को लोकतंत्र पर बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है। होसबाले ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि संघ का हिन्दू राष्ट्र का विचार सांस्कृतिक राष्ट्र का विचार है, इसे भू-राजनीतिक सीमाओं वाली ‘स्टेट’ की अवधारणा के आधार पर नहीं देखना चाहिए। सांस्कृतिक राष्ट्र के रूप में देखने पर इस विषय में कोई भ्रम नहीं रहता क्योंकि भारत इस रूप में हिन्दू राष्ट्र ही है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि समलैंगिक विवाह के विषय में संघ का स्पष्ट विचार है कि विवाह एक संस्कार है जो स्त्री-पुरुष के बीच होता है, क्योंकि इसका उद्देश्य व्यापक समाज हित है ना कि व्यक्तिगत दैहिक सुख।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है, सामरिक और कूटनीति मोर्चों में बढ़ती महत्ता से सभी परिचित हैं. ऐसे समय में भारतीय समाज को एकजुट होकर सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना है। देश और विदेश में ऐसी अनेक शक्तियां हैं जो भारत को इस रास्ते पर आगे बढ़ने से रोकना चाहती हैं. किंतु ‘स्व’ के बोध के साथ हमें मिलकर इन शक्तियों को प्रभावशून्य बनाना है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यह वार्षिक बैठक हरियाणा के पानीपत जिले की समालखा तहसील के पट्टीकल्याणा गांव में स्थित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केन्द्र के परिसर में 12 मार्च, रविवार को शुरु हुई थी। तीन दिन चली बैठक में देश के विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिनिधियों ने विचार मंथन में भाग लिया। बैठक के पहले दिन संघ का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रतिवेदन के अनुसार संघ की शाखाओं की संख्या 62 हजार से बढ़कर 68 हजार तक पहुंची है। आगामी वर्ष में इस संख्या को एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। संघ की शाखाओं में तीन महीने में एक परिवार मिलन रखने का भी निर्णय लिया गया है। पत्रकार वार्ता में सुनील आंबेकर, नरेन्द्र ठाकुर तथा आलोक कुमार भी उपस्थित रहे।