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कानपुर – कोर्ट ने दो रोहिंग्या मुसलमानों को दस-दस साल की सजा सुनाई

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कानपुर. कानपुर की एडीजे कोर्ट ने धारा-366बी दो रोहिंग्या मुसलमानों को दस-दस साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 8-8 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने का भुगतान नहीं करने पर तीन-तीन महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. अन्य धाराओं में भी दोनों को सजा सुनायी गई है. जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता विवेक शुक्ल ने बताया कि मामले में पीड़िता सहित आठ लोगों ने गवाही दी है. एडीजे-07 अभिषेक उपाध्याय की कोर्ट ने दोनों को सजा सुनाई.

इसे न्यायिक इतिहास का अनोखा मामला कह सकते हैं. प्रकरण में पीड़ित और आरोपी दोनों ही विदेशी थे. कोर्ट ने 42 दिनों में 12 तारिखों पर सुनवाई के बाद दो रोहिंग्या मुसलमानों को सजा सुनाई. दोनों बांग्लादेश से बरगला कर युवती लाए थे और उसका सौदा भी तय कर दिया था.

23 अगस्त 2019 को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जीआरपी ने ट्रेन से दो बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया था. उनके साथ एक बांग्लादेशी युवती भी थी. दोनों युवती को नदी के रास्ते पश्चिम बंगाल लेकर आए थे और उसे बेचने दिल्ली ले जा रहे थे. पकड़े गए दोनों युवकों अयाज और रज्जाक के पास से पुलिस को 8 मोबाइल और सिम कार्ड मिले थे. इनके पास से भारतीय और बांग्लादेशी करंसी भी बरामद हुई थी.

अयाज म्यांमार का रहना वाला है जो बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में रहता था. वह वहां रहने वाली एक युवती, जिसकी मामी भारत में रहती है, उससे मिलवाने के बहाने उसे नाव से पश्चिम बंगाल लाया. अयाज और रज्जाक उसे पश्चिम बंगाल से सियालदाह अमृतसर ट्रेन से दिल्ली ले जा रहे थे. रास्ते में अयाज और रज्जाक की बातचीत से युवती को शक हो गया. उसने ट्रेन में जीआरपी के सिपाही से मदद मांगी. सिपाही बंगाली भाषा नहीं जानता था, फिर भी उसने युवती की मदद की. वह ट्रेन के कोच से एक बांग्ला भाषा के जानकारों को ढूंढकर लाया. युवती की कहानी को समझकर उसने कानपुर सेंट्रल जीआरपी को संपर्क किया. सेंट्रल स्टेशन पर जीआरऱपी ने अयाज और रज्जाक को धर दबोचा और मामला दर्ज किया. कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 42 दिन में 12 तारीखों के बाद एडीजे-07 कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

Courtesy: VSK BHARATH