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स्वतंत्रता आंदोलन, भारत के ‘स्व’ को जागृत करने का आंदोलन था – दत्तात्रेय होसबाले

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धारवाड़, 30 अक्तूबर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस निमित्त संघ के स्वयंसेवक समाज व विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेंगे, स्वतंत्र रूप से भी आयोजन होंगे. स्वतंत्रता आंदोलन के अज्ञात सेनानियों का जीवन समाज के सामने लाया जाएगा. उदाहरण स्वरूप कालापानी में सजा काटने वाले लोगों के बारे में जानकारी ही नहीं है, ऐसे लोगों के जीवन पर प्रदर्शनी लगाना, तमिलनाडु से वेलु नाचियार, कर्नाटक से अबक्का, रानी गाइदिन्ल्यू सहित अन्य सेननानियों के बारे में जानकारी नहीं, ऐसे लोगों का जीवन समाज में लाना.

भारत का स्वतंत्रता आंदोलन विश्व में विशिष्ट रहा है, सबसे लंबे समय तक चला है. आंदोलन में देश की एकात्मता प्रकट हुई. यह आंदोलन केवल अंग्रेजों के खिलाफ नहीं था, अपितु भारत के ‘स्व’ का आंदोलन था. इसलिए स्वदेशी आंदोलन उसमें जुड़ गया, स्व-भाषा, स्व-संस्कृति का आंदोलन जुड़ गया. इसलिए भारत के ‘स्व’ का अर्थ अंग्रेजों को यहां से भगाना चाहिए, इतना ही नहीं था. भारत की आत्मा को जागृत करने का था, इसके लिए स्वामी विवेकानंद सहित अनेक हस्तियों ने कार्य किया. साथ ही इस अवसर पर वर्तमान पीढ़ी को संकल्प लेना चाहिए कि हम भारत को हर क्षेत्र में दुनिया में उत्कृष्ट बनाने के लिए कार्य करेंगे.

सरकार्यवाह ने कहा कि सिक्ख पंथ के नवम गुरु, गुरु तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश वर्ष पर संस्थाओं के साथ मिलकर कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया गया है. गुरु तेगबहादुर जी ने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान दिया है. उनकी स्मृति व प्रेरणा वर्तमान पीढ़ी को होनी चाहिए. सरकार्यवाह धारवाड़ (कर्नाटक) में आयोजित अ. भा. कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में जानकारी प्रदान कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि कार्यकारी मंडल की वर्ष में दो बार बैठक होती है, प्रतिनिधि सभा से पहले और दीपावली व दशहरा के बीच में. अभी होने वाली बैठक पूरे तीन दिन की बैठक होती है. कोरोना के कारण पिछले साल बैठक नहीं हो सकी थी. कोरोना काल में संघ के स्वयंसेवकों ने लाखों की संख्या में सेवा कार्य किए. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण संघ कार्य का विस्तार भी बाधित हुआ, शाखाएं ठीक से नहीं लग पाईं, देशभर में प्रवास भी बाधित हुआ. शाखा के रूप में प्रत्यक्ष कार्य प्रभावित हुआ, लेकिन सेवा के रूप में व्यापक कार्य हुआ. नित्य शाखा में आने वाले स्वयंसेवकों के साथ ही केवल कार्यक्रमों में आने वाले स्वयंसेवकों ने भी अत्यधिक सक्रियता से कार्य किया.

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के पश्चात तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए उससे निपटने की तैयारी के दृष्टिगत प्रत्येक राज्य में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए. जिससे यदि तीसरी लहर की स्थिति आती है तो समाज के सहयोग से उससे निपटने के लिए हम तैयार रहें. ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसी स्थिति न बने, पर तीसरी लहर आती है तो हम तैयार हैं.

उन्होंने बताया कि 34 हजार स्थानों पर दैनिक शाखा, साप्ताहिक मिलन 12780 स्थानों पर, मासिक मंडली 7900 स्थानों पर, यानि कुल 55 हजार स्थानों पर संघ का प्रत्यक्ष कार्य है. अभी देशभर में 54382 दैनिक शाखाएं लग रही हैं.

वर्ष 2025 में संघ के 100 वर्ष होने वाले हैं. तथापि हम प्रति तीन वर्ष में संगठन के विस्तार की योजना बनाते हैं. इस दृष्टि से हमने विचार किया है कि मंडल स्तर तक हमारा काम होना चाहिए. अभी देश में  6483 ब्लॉक/खंड में से 5683 में संघ कार्य है. 32687 मंडलों में काम है, 910 जिलों में से 900 जिलों में काम है, 560 जिलों में जिला केंद्र पर 5 शाखाएं हैं, 84 जिलों में सभी मंडलों में शाखा है. हमने विचार किया है कि आने वाले तीन साल में संघ कार्य (वर्ष 2024) सभी मंडलों तक पहुंचना चाहिए. पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को लेकर भी योजना बनी है. 2022 से 2025 तक कम से कम दो साल का समय देने वाले कार्यकर्ता तैयार करेंगे, मार्च में इसकी संख्या आ जाएगी. कोरोना के कारण नित्य शाखा बाधित होने पर भी संपर्क के आधार पर देश में 105938 स्थानों पर गुरु पूजन का कार्यक्रम कर सके.

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण शिक्षा व रोजगार प्रभावित हुआ है. लोगों के स्वावलंबन के लिए स्वयंसेवकों ने कार्य प्रारंभ किया है. कौशळ प्रशिक्षण, स्थानीय लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की मार्केटिंग, बैंक ऋण उपलब्ध करवाना आदि रोजगार सृजन के कार्य में स्वयंसेवक सहयोग कर रहे हैं. आने वाले समय में इस पर विशेष ध्यान देकर प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नीति पर प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रत्येक देश में जनसंख्या नीति होनी चाहिए, और यह समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से लागू होनी चाहिए. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या नीति बननी चाहिए. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने संघ द्वारा पूर्व में पारित प्रस्ताव के आधार पर ही पुनः स्मरण करवाया है.

पर्यावरण संरक्षण प्रतिदिन का कार्य है, केवल दीपावली पर पटाखों को प्रतिबंधित करने से क्या समस्या का समाधान होगा, इससे समाधान नहीं होने वाला. विश्व के अनेक देशों में पटाखों का उपयोग होता है. इसलिए, किस प्रकार के पटाखों को प्रतिबंधित करना है, इसे देखना होगा. समग्रता से विषय को देखना चाहिए, एकदम से निर्णय नहीं लिया जा सकता. समग्रता से और समय रहते चर्चा होनी चाहिए. इससे मिलने वाले रोजगार के बारे में भी विचार करना होगा.

किसी भी प्रकार से संख्या को बढ़ाना, धोखे से, लालच से मतांतरण करवाना सही नहीं. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. एंटी कनवर्जन बिल का विरोध क्यों होता है, यह सबके सामने है. हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने एंटी कनवर्जन बिल पारित किया, अरुणाचल में कांग्रेस सरकार ने अनुभव के आधार पर कानून पारित किया. इसलिए मतांतरण रुकना चाहिए, और जिन लोगों ने मतांतरण कर लिया है उन्हें घोषणा करनी चाहिए, दोनों तरफ लाभ नहीं ले सकते. सरकार्यवाह ने कहा कि यदि मतांतरण को रोकने के लिए कानून बनता है तो हम स्वागत करेंगे.