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गुरू गोबिंद सिंह जी के जीवन के स्मरण मात्र से पूरा जीवन प्रकाशमय हो जाएगा – डॉ. मोहन भागवत जी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने वालों में दशमेश गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज एक बड़ा कारण रहे हैं, इसलिए बच्चा- बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता है, उनके जैसा बनना चाहता है. यही कारण है भारत की पहचान विश्व में बताने वाले विवेकानंद जी ने कहा – भारत के गौरव को पाने के लिए गुरु जी जैसा बनना होगा. जिसकी शुरुआत अपने से करनी होगी, तभी आदर्श समाज प्रस्तुत किया जा सकता है. आदर्श देश बनाने के लिए स्वयं से शुरुआत करनी होगी, चाहे वो किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, जाति का हो.

गुरु गोबिंद जी का उदाहरण देते हुए सरसंघचालक जी ने कहा कि गुरु जी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और रहेंगे. वह ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं, जिसने देश के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया, चाहे राजपाठ हो, चाहे अपने खुद के सभी पुत्र हों और चाहे खुद ही क्यों नहीं हों. सरसंघचालक जी गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश वर्ष के निमित्त आयोजित विशेष समागम में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे. विशेष समागम का आयोजन तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में राष्ट्रीय सिक्ख संगत द्वारा 25 अक्तूबर को किया गया था.

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जी का जीवन हमें समाज को जोड़ने की सीख देता है. हमें उनके चरित्र, वाणी और उपदेशों का अध्ययन करके कुछ न कुछ ग्रहण करना चाहिए. प्रयास करना चाहिए कि वह हमारे आचरण में आए. गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन ऐसा था कि आज के समय में केवल उनके स्मरण मात्र से पूरा जीवन प्रकाशमय हो जाएगा. उन्होंने कहा कि गुरु गोबंद सिंह जी ने कभी अपने विरोधियों के लिए भी अपशब्द का उपयोग नहीं किया. युद्ध के दौरान भी वह किसी प्रकार का भेद नहीं करते थे. गुरु जी ने ऐसे लोगों को खड़ा किया जो देश पर मर मिटने के लिए सदैव तत्पर रहते आए हैं. उनके दिए आदर्श किसी जाति, पंथ, सम्प्रदाय तक सीमित नहीं हैं, सभी के लिए हैं. हमें उनके चरित्र का अध्ययन करना होगा और उसका अधिक से अधिक प्रकाश अपने जीवन में उतारना होगा. यही हमारी उनके प्रति सच्ची कृतज्ञता होगी. हमें सिर्फ 350वें प्रकाश वर्ष तक ही नहीं रुकना होगा, इससे भी आगे निरंतर चलते रहना होगा.

राष्ट्रीय सिक्ख संगत के अध्यक्ष जी.एस. गिल जी ने कहा कि विदेशी आक्रान्ताओं के आगे गुरु गोबिंद सिंह जी कभी झुके नहीं. उन्होंने देश की अस्मिता के लिए मरना सिखाया. देश पर आए संकट को अपने ऊपर लेकर समाज को एक नई दिशा दिखाई, जिस पर देश का हर नागरिक आज भी चलने की कोशिश करता आ रहा है.

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है. कई झटकों को झेलने के बाद भी हमारी संस्कृति बरकरार है. गुरु गोबिंद जी ने जिस पंथ की स्थापना की, वह आज भी देश की रक्षा कर रहा है. इसमें सबसे बड़ा योगदान गुरु जी का ही रहा है. भारत की संस्कृति की रक्षा करने वाले महापुरुषों में गुरु गोविंद सिंह जी सबसे अग्रणी रहे. खालसा पंथ भारतीय संस्कृति के रक्षा कवच के समान है. कार्यक्रम के दौरान नामधारी समाज से ठाकुर दिलीप सिंह जी एवं अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे.

Courtesy: VSK Bharat