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आचार्य तरुण सागर जी महाराज एक तपस्वी मुनिवर थे – मोहन जी भागवत

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आचार्य तरुण सागर जी महाराज समाज में एक तपस्वी मुनिवर थे। जो समाज को क्या लगेगा, इसकी परवाह न करते हुए, स्पष्ट शब्दों में समाज को उचित और हितकारी मार्गदर्शन करते रहते थे। अपने प्रवचनों से वो साफ शब्दों में समाज को उद्बोधित करते थे और साफ शब्दों में कहना है, ये जानकर ही उन्होंने उसका शीर्षक दिया था – कड़वे प्रवचन। ऐसे कड़वे प्रवचन उन्होंने सर्वसामान्य जनता के सामने, विधायकों-सांसदों के सामने भी साफ शब्दों में करते हुए, नित्य जीवन में जो कर्तव्य बोध जागृति का काम है, उसको सतत् चलाया। संघ पर उनका विशेष स्नेह था और जहां-जहां संभव है, वहां मैं उनको मिलने का प्रयास करता था। अन्य भी कार्यकर्ता उनको समय-समय पर मिलते थे। उनके कुशलक्षेम को पूछने के साथ वो संघ के लिए भी कई प्रकार के परामर्श, कभी जिज्ञासा करने पर, कभी जिज्ञासा न करने पर भी, उनको लगती थी चिंता उसके चलते, करते रहते थे। हर बार उनका यह परामर्श हम सब लोगों को उस पर चलने के बाद फलदायी रहा है। ऐसे एक तपस्वी समाज हितैषी, समाज स्वास्थ्य को बनाए रखने वाला संत आज हममें से चला गया है और ये हमारे लिये तो बड़ी अपूरणीय क्षति है।