
परमश्रद्धेय स्वामी पेजावर श्री स्वामी विश्वेश तीर्थ जी का वैकुण्ठलीन होना हम सब के लिए बहुत बड़ी हानि है। दैवी संपदायुक्त, देश और धर्म की चिंता में नित्य प्रयासरत, उनका सौम्य, शांत, प्रसन्न व शीतल व्यक्तित्व हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए बहुत बड़ा आधार था। उनका स्पष्ट व स्नेहिल परामर्श कितनी ही कठिन समस्याओं को बहुत सरल बना देता था। वट वृक्ष की शीतल छांव जैसा उनका सान्निध्य अब हमको नहीं मिलेगा। उनकी भावनोत्कट इच्छा के सामर्थ्य से श्रीराम मंदिर के निर्माण का पथ तो निष्कंटक हो गया है, परंतु मंदिर का निर्माण प्राम्भ होने के पहले ही वे हमसे दूर चले गए। जिन तपस्वियों की निष्काम तपस्या के कारण भारतवर्ष का प्राणास्वरूप धर्मजीवन सदा तेजस्वी बना रहता है, ऐसे आध्यात्मिक संत को हम पार्थिव रूप में नहीं देख पाएंगे, परंतु उनकी स्मृतियां, प्रेरणा व प्रकाश बन हम सबका पथ-प्रदर्शन करती रहेंगी।
हम उनकी पवित्र स्मृति में अपनी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओऱ से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सुरेश (भय्या) जोशी                                                                                   मोहन भागवत
 सरकार्यवाह                                                                                               सरकार्यवाह        
                
		











