पुष्कर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार जी ने कहा कि देश की सीमाओं के प्रति सतत जागरूक रहना पड़ता है. किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा सीमाओं पर निर्भर करती है, सीमा सुरक्षित तो राष्ट्र सुरक्षित. सीमा पर रहने वाला समाज जागरूक, संस्कारित हो, एवं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो तथा उनकी समस्याओं का समाधान हो. इसके लिए विभिन्न संगठन क्या-क्या कर सकते हैं, इस विषय पर विशेष रूप से चर्चा होने वाली है.
अरुण कुमार जी ने 7 से 9 सितंबर तक होने वाली अखिल भारतीय समन्वय बैठक से पूर्व 06 सिंतबर को आयोजित प्रेस वार्ता में बैठक के संबंध में जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि कि महिला समाज से जुड़े प्रश्नों का अध्ययन योजक नाम की संस्था ने किया है. इस विषय को लेकर दो वर्ष व्यापक अध्ययन (जनजातीय, कामकाजी, अनुसूचित जाति, छात्रावास में रहने वाली युवतियां, घरेलू महिलाएं, कृषक महिलाएं व अन्य) हुआ, इस अध्ययन में विविध संगठनों में कार्यरत हजारों महिलाओं ने भी सहयोग किया। इस अध्ययन से संबंधित रिपोर्ट भी सबके समक्ष रखी जाएगी, तथा उसके आधार पर महिला स्वास्थ्य, सशक्तिकरण, सुरक्षा, सम्मान आदि विषयों पर संगठन क्या कर सकते हैं, इसे लेकर भी विस्तृत चर्चा होने वाली है.
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक 35 से अधिक संगठनों में काम करते हैं. ये संगठन समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्यरत हैं, सभी के कार्य क्षेत्र अलग-अलग है, सभी संगठन स्वायत्त हैं. समन्वय बैठक निर्णय लेने वाली बैठक या फोरम नहीं है. सभी संगठनों के निर्णय लेने के अपने फोरम हैं. इन संगठनों के पदाधिकारी देशभर में घूमते हैं, समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं. अनुभव-आंकलन करते हैं. ऐसे सभी व्यक्ति एकत्रित आकर अपने अनुभवों को साझा करें, इसके लिए ही समन्वय बैठक है. इस बैठक में सभी संगठनों के अ.भा. पदाधिकारी (अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री) उपस्थित रहने वाले हैं. बैठक में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी, सरकार्यवाह भय्याजी जोशी एवं अन्य अ.भा. कार्यकारिणी के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे.
उन्होंने बताया कि पिछली बार मंत्रालय (आंध्र प्रदेश) में बैठक हुई थी, जिसमें तय किया गया था कि सभी संगठन तीन प्रमुख विषयों पर वर्ष भर कार्य करेंगे. पर्यावरण व जल संकट को लेकर समाज में जागरण व प्रबोधन, प्रत्येक संगठन में युवा पीढ़ी आगे आए इस हेतु प्रयास, तथा समाज विशेषकर नई पीढ़ी में संस्कारों का दृढ़ीकरण, इन तीनों विषयों पर विविध संगठनों के प्रयास तथा अनुभवों की भी समीक्षा होगी.
इस के अतिरिक्त समसामायिक सामाजिक, राष्ट्रीय महत्व के विषय पर भी अगर प्रतिभागी चाहेंगे तो उस पर चर्चा हो सकती है.